२. पारिवासिकक्खन्धकं
१. पारिवासिकवत्तं
७५. तेन
अथ खो भगवा एतस्मिं निदाने एतस्मिं पकरणे भिक्खुसङ्घं सन्निपातापेत्वा भिक्खू पटिपुच्छि – ‘‘सच्चं किर, भिक्खवे, पारिवासिका भिक्खू सादियन्ति पकतत्तानं भिक्खूनं अभिवादनं, पच्चुट्ठानं, अञ्जलिकम्मं, सामीचिकम्मं, आसनाभिहारं, सेय्याभिहारं, पादोदकं पादपीठं, पादकथलिकं, पत्तचीवरपटिग्गहणं, नहाने पिट्ठिपरिकम्म’’न्ति? ‘‘सच्चं भगवा’’ति। विगरहि बुद्धो भगवा – ‘‘अननुच्छविकं…पे॰… कथञ्हि नाम, भिक्खवे, पारिवासिका भिक्खू सादियिस्सन्ति पकतत्तानं भिक्खूनं अभिवादनं, पच्चुट्ठानं, अञ्जलिकम्मं, सामीचिकम्मं, आसनाभिहारं, सेय्याभिहारं, पादोदकं
‘‘अनुजानामि, भिक्खवे, पारिवासिकानं भिक्खूनं मिथु यथावुड्ढं अभिवादनं, पच्चुट्ठानं, अञ्जलिकम्मं, सामीचिकम्मं, आसनाभिहारं, सेय्याभिहारं, पादोदकं पादपीठं, पादकथलिकं, पत्तचीवरपटिग्गहणं, नहाने पिट्ठिपरिकम्मं।
‘‘अनुजानामि
७६. ‘‘पारिवासिकेन, भिक्खवे, भिक्खुना सम्मा वत्तितब्बं। तत्रायं सम्मावत्तना –
न उपसम्पादेतब्बं, न निस्सयो दातब्बो, न सामणेरो उपट्ठापेतब्बो, न भिक्खुनोवादकसम्मुति सादितब्बा, सम्मतेनपि भिक्खुनियो न ओवदितब्बा। याय आपत्तिया सङ्घेन परिवासो दिन्नो होति सा आपत्ति न आपज्जितब्बा, अञ्ञा वा
‘‘न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना पकतत्तस्स भिक्खुनो पुरतो गन्तब्बं, न पुरतो निसीदितब्बं। यो होति सङ्घस्स आसनपरियन्तो सेय्यापरियन्तो विहारपरियन्तो सो तस्स पदातब्बो। तेन च सो सादितब्बो।
‘‘न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना पकतत्तेन भिक्खुना पुरेसमणेन वा पच्छासमणेन वा कुलानि उपसङ्कमितब्बानि, न आरञ्ञिकङ्गं समादातब्बं
‘‘पारिवासिकेन
‘‘न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न
‘‘न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया। न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया। न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा अभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया। न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया। न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा अभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया। न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो, यत्थस्सु
‘‘न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र
‘‘न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया। न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया। न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र
८०. ‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको आवासो, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको अनावासो, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘गन्तब्बो
‘‘गन्तब्बो
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको आवासो, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
८१. ‘‘न, भिक्खवे, पारिवासिकेन भिक्खुना पकतत्तेन भिक्खुना सद्धिं एकच्छन्ने आवासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने अनावासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने आवासे वा अनावासे वा वत्थब्बं। पकतत्तं भिक्खुं दिस्वा आसना वुट्ठातब्बं। पकतत्तो भिक्खु आसनेन निमन्तेतब्बो। न पकतत्तेन भिक्खुना सद्धिं एकासने निसीदितब्बं, न नीचे आसने निसिन्ने उच्चे आसने निसीदितब्बं, न छमायं निसिन्ने आसने निसीदितब्बं; न एकचङ्कमे चङ्कमितब्बं, न नीचे चङ्कमे चङ्कमन्ते उच्चे चङ्कमे चङ्कमितब्बं, न छमायं चङ्कमन्ते
८२. ‘‘न
चतुन्नवुतिपारिवासिकवत्तं निट्ठितं।
८३. अथ खो आयस्मा उपालि येन भगवा तेनुपसङ्कमि। उपसङ्कमित्वा भगवन्तं अभिवादेत्वा एकमन्तं निसीदि। एकमन्तं निसिन्नो खो आयस्मा उपालि भगवन्तं एतदवोच – ‘‘कति नु खो, भन्ते, पारिवासिकस्स भिक्खुनो रत्तिच्छेदा’’ति? ‘‘तयो खो, उपालि, पारिवासिकस्स भिक्खुनो रत्तिच्छेदा
८४. तेन खो पन समयेन सावत्थियं महाभिक्खुसङ्घो सन्निपतितो होति। न सक्कोन्ति पारिवासिका भिक्खू परिवासं सोधेतुं
८५. तेन खो पन समयेन सावत्थिया भिक्खू तहं तहं पक्कमिंसु। सक्कोन्ति पारिवासिका भिक्खू परिवासं सोधेतुं। भगवतो एतमत्थं आरोचेसुं। ‘‘अनुजानामि, भिक्खवे, परिवासं समादियितुं
पारिवासिकवत्तं निट्ठितं।
२. मूलायपटिकस्सनारहवत्तं
८६. तेन
अथ खो भगवा एतस्मिं निदाने एतस्मिं पकरणे भिक्खुसङ्घं सन्निपातापेत्वा भिक्खू पटिपुच्छि – ‘‘सच्चं किर, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहा भिक्खू सादियन्ति पकतत्तानं भिक्खूनं अभिवादनं, पच्चुट्ठानं…पे॰… नहाने पिट्ठिपरिकम्म’’न्ति? ‘‘सच्चं भगवा’’ति। विगरहि बुद्धो भगवा – ‘‘अननुच्छविकं…पे॰… कथञ्हि नाम, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहा भिक्खू सादियिस्सन्ति पकतत्तानं भिक्खूनं अभिवादनं, पच्चुट्ठानं…पे॰… नहाने पिट्ठिपरिकम्मं! नेतं भिक्खवे, अप्पसन्नानं वा पसादाय…पे॰… विगरहित्वा…पे॰… धम्मिं कथं कत्वा भिक्खू आमन्तेसि – ‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सादितब्बं पकतत्तानं भिक्खूनं अभिवादनं, पच्चुट्ठानं, अञ्जलिकम्मं, सामीचिकम्मं, आसनाभिहारो, सेय्याभिहारो, पादोदकं पादपीठं, पादकथलिकं, पत्तचीवरपटिग्गहणं, नहाने पिट्ठिपरिकम्मं। यो सादियेय्य, आपत्ति दुक्कटस्स। अनुजानामि, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहानं
८७. ‘‘मूलायपटिकस्सनारहेन
न उपसम्पादेतब्बं, न निस्सयो दातब्बो, न सामणेरो उपट्ठापेतब्बो, न भिक्खुनोवादकसम्मुति सादितब्बा, सम्मतेनपि भिक्खुनियो न ओवदितब्बा। याय आपत्तिया सङ्घेन मूलाय पटिकस्सनारहो कतो होति सा आपत्ति न आपज्जितब्बा, अञ्ञा वा तादिसिका, ततो वा पापिट्ठतरा; कम्मं न गरहितब्बं, कम्मिका न गरहितब्बा। न पकतत्तस्स भिक्खुनो उपोसथो ठपेतब्बो, न पवारणा ठपेतब्बा, न सवचनीयं कातब्बं, न अनुवादो पट्ठपेतब्बो, न ओकासो कारेतब्बो, न चोदेतब्बो, न सारेतब्बो, न भिक्खूहि सम्पयोजेतब्बं।
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना पकतत्तस्स भिक्खुनो पुरतो गन्तब्बं, न पुरतो निसीदितब्बं। यो होति सङ्घस्स आसनपरियन्तो सेय्यापरियन्तो विहारपरियन्तो सो तस्स पदातब्बो। तेन च सो सादितब्बो।
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना पकतत्तेन भिक्खुना पुरेसमणेन वा
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा अभिक्खुको आवासो
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको आवासो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘गन्तब्बो
‘‘गन्तब्बो
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना पकतत्तेन भिक्खुना सद्धिं एकच्छन्ने आवासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने अनावासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने आवासे वा अनावासे वा वत्थब्बं; पकतत्तं भिक्खुं दिस्वा आसना वुट्ठातब्बं, पकतत्तो भिक्खु आसनेन निमन्तेतब्बो; न पकतत्तेन भिक्खुना सद्धिं एकासने निसीदितब्बं; न नीचे आसने निसिन्ने उच्चे आसने निसीदितब्बं; न छमायं निसिन्ने आसने निसीदितब्बं; न एकचङ्कमे चङ्कमितब्बं, न नीचे चङ्कमे चङ्कमन्ते उच्चे चङ्कमे चङ्कमितब्बं, न छमायं चङ्कमन्ते चङ्कमे
‘‘न, भिक्खवे, मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना पारिवासिकेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… मूलायपटिकस्सनारहेन वुड्ढतरेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… मानत्तारहेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… मानत्तचारिकेन भिक्खुना
मूलायपटिकस्सनारहवत्तं निट्ठितं।
३. मानत्तारहवत्तं
८८. तेन
८९. ‘‘मानत्तारहेन, भिक्खवे, भिक्खुना सम्मा वत्तितब्बं। तत्रायं सम्मावत्तना –
न उपसम्पादेतब्बं…पे॰… (यथा मूलाय पटिकस्सना, तथा वित्थारेतब्बं।) न भिक्खूहि
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना पकतत्तस्स भिक्खुनो पुरतो गन्तब्बं, न पुरतो निसीदितब्बं। यो होति सङ्घस्स आसनपरियन्तो सेय्यापरियन्तो विहारपरियन्तो सो तस्स पदातब्बो। तेन च सो सादितब्बो।
‘‘न
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मनत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको आवासो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा सभिक्खुको आवासो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको आवासो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तारहेन भिक्खुना पकतत्तेन भिक्खुना सद्धिं एकच्छन्ने आवासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने अनावासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने आवासे वा अनावासे वा वत्थब्बं। पकतत्तं भिक्खुं दिस्वा आसना वुट्ठातब्बं। पकतत्तो भिक्खु आसनेन निमन्तेतब्बो। न पकतत्तेन भिक्खुना सद्धिं एकासने निसीदितब्बं, न नीचे आसने निसिन्ने उच्चे आसने निसीदितब्बं, न छमायं निसिन्ने आसने निसीदितब्बं; न एकचङ्कमे चङ्कमितब्बं, न
‘‘न
मानत्तारहवत्तं निट्ठितं।
४. मानत्तचारिकवत्तं
९०. तेन खो पन समयेन मानत्तचारिका भिक्खू सादियन्ति पकतत्तानं भिक्खूनं अभिवादनं, पच्चुट्ठानं, अञ्जलिकम्मं, सामीचिकम्मं, आसनाभिहारं, सेय्याभिहारं, पादोदकं पादपीठं, पादकथलिकं, पत्तचीवरपटिग्गहणं, नहाने पिट्ठिपरिकम्मं। ये ते भिक्खू अप्पिच्छा…पे॰…
अथ खो भगवा एतस्मिं निदाने एतस्मिं पकरणे भिक्खुसङ्घं सन्निपातापेत्वा भिक्खू पटिपुच्छि – ‘‘सच्चं किर, भिक्खवे, मानत्तचारिका भिक्खू सादियन्ति पकतत्तानं भिक्खूनं अभिवादनं, पच्चुट्ठानं…पे॰… नहाने पिट्ठिपरिकम्म’’न्ति? ‘‘सच्चं भगवा’’ति। विगरहि बुद्धो भगवा – ‘‘अननुच्छविकं…पे॰… कथञ्हि नाम, भिक्खवे, मानत्तचारिका भिक्खू सादियिस्सन्ति पकतत्तानं भिक्खूनं अभिवादनं…पे॰… नहाने पिट्ठिपरिकम्मं! नेतं, भिक्खवे, अप्पसन्नानं वा पसादाय…पे॰… विगरहित्वा…पे॰… धम्मिं कथं कत्वा भिक्खू आमन्तेसि –
‘‘न
९१. ‘‘मानत्तचारिकेन
न उपसम्पादेतब्बं, न निस्सयो दातब्बो, न सामणेरो उपट्ठापेतब्बो, न भिक्खुनोवादकसम्मुति सादितब्बा, सम्मतेनपि भिक्खुनियो न ओवदितब्बा। याय आपत्तिया सङ्घेन मानत्तं दिन्नं होति सा आपत्ति न आपज्जितब्बा, अञ्ञा वा तादिसिका, ततो वा पापिट्ठतरा; कम्मं न गरहितब्बं, कम्मिका न गरहितब्बा। न पकतत्तस्स भिक्खुनो उपोसथो ठपेतब्बो, न पवारणा ठपेतब्बा, न सवचनीयं कातब्बं, न अनुवादो पट्ठपेतब्बो, न ओकासो कारेतब्बो, न चोदेतब्बो, न सारेतब्बो, न भिक्खूहि सम्पयोजेतब्बं।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना पकतत्तस्स भिक्खुनो पुरतो गन्तब्बं, न पुरतो निसीदितब्बं। यो होति सङ्घस्स आसनपरियन्तो सेय्यापरियन्तो विहारपरियन्तो सो तस्स पदातब्बो। तेन च सो सादितब्बो।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना पकतत्तेन भिक्खुना पुरेसमणेन वा पच्छासमणेन वा कुलानि उपसङ्कमितब्बानि, न आरञ्ञिकङ्गं समादातब्बं, न पिण्डपातिकङ्गं समादातब्बं, न च तप्पच्चया पिण्डपातो नीहरापेतब्बो – मा मं जानिंसूति।
‘‘मानत्तचारिकेन, भिक्खवे, भिक्खुना आगन्तुकेन आरोचेतब्बं, आगन्तुकस्स आरोचेतब्बं, उपोसथे आरोचेतब्बं, पवारणाय आरोचेतब्बं
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र सङ्घेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र सङ्घेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना सभिक्खुका अनावासा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, अञ्ञत्र सङ्घेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… अभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, अञ्ञत्र सङ्घेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा गन्तब्बो, यत्थस्सु भिक्खू नानासंवासका, अञ्ञत्र सङ्घेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न भिक्खवे
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको आवासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो…पे॰… सभिक्खुको
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे मानत्तचारिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा सभिक्खुको आवासो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘गन्तब्बो
‘‘गन्तब्बो, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा वा अनावासा वा सभिक्खुको आवासो…पे॰… सभिक्खुको अनावासो…पे॰… सभिक्खुको आवासो वा अनावासो वा, यत्थस्सु भिक्खू समानसंवासका, यं जञ्ञा सक्कोमि अज्जेव गन्तुन्ति।
‘‘न
‘‘न, भिक्खवे, मानत्तचारिकेन भिक्खुना पारिवासिकेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… मानत्तारहेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… मानत्तचारिकेन वुड्ढतरेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… अब्भानारहेन भिक्खुना सद्धिं एकच्छन्ने आवासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने अनावासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने आवासे वा अनावासे वा वत्थब्बं; न एकासने निसीदितब्बं, न नीचे आसने निसिन्ने उच्चे आसने निसीदितब्बं, न छमायं निसिन्ने आसने निसीदितब्बं; न एकचङ्कमे चङ्कमितब्बं
९२. अथ खो आयस्मा उपालि येन भगवा तेनुपसङ्कमि, उपसङ्कमित्वा भगवन्तं अभिवादेत्वा एकमन्तं निसीदि। एकमन्तं निसिन्नो खो आयस्मा उपालि भगवन्तं एतदवोच – ‘‘कति नु खो, भन्ते, मानत्तचारिकस्स भिक्खुनो रत्तिच्छेदा’’ति? ‘‘चत्तारो खो
९३. तेन खो पन समयेन सावत्थियं महाभिक्खुसङ्घो सन्निपतितो होति। न सक्कोन्ति मानत्तचारिका भिक्खू मानत्तं सोधेतुं। भगवतो एतमत्थं आरोचेसुं। ‘‘अनुजानामि, भिक्खवे, मानत्तं निक्खिपितुं। एवञ्च पन, भिक्खवे, निक्खिपितब्बं। तेन मानत्तचारिकेन भिक्खुना एकं भिक्खुं उपसङ्कमित्वा एकंसं उत्तरासङ्गं करित्वा उक्कुटिकं निसीदित्वा अञ्जलिं पग्गहेत्वा एवमस्स वचनीयो – ‘मानत्तं निक्खिपामी’ति। निक्खित्तं होति मानत्तं। ‘वत्तं निक्खिपामी’ति। निक्खित्तं होति मानत्त’’न्ति।
९४. तेन खो पन समयेन सावत्थिया भिक्खू तहं तहं पक्कमिंसु
मानत्तचारिकवत्तं निट्ठितं।
५. अब्भानारहवत्तं
९५. तेन
अथ खो भगवा एतस्मिं निदाने एतस्मिं पकरणे भिक्खुसङ्घं सन्निपातापेत्वा भिक्खू पटिपुच्छि – ‘‘सच्चं किर, भिक्खवे, अब्भानारहा भिक्खू सादियन्ति पकतत्तानं भिक्खूनं अभिवादनं पच्चुट्ठानं…पे॰… नहाने पिट्ठिपरिकम्मन्ति? ‘‘सच्चं भगवा’’ति। विगरहि बुद्धो
९६. ‘‘अब्भानारहेन, भिक्खवे, भिक्खुना सम्मा वत्तितब्बं। तत्रायं सम्मावत्तना –
न उपसम्पादेतब्बं…पे॰… (यथा हेट्ठा, तथा वित्थारेतब्बं,) न भिक्खूहि सम्पयोजेतब्बं।
‘‘न, भिक्खवे, अब्भानारहेन भिक्खुना पकतत्तस्स भिक्खुनो पुरतो गन्तब्बं, न पुरतो निसीदितब्बं। यो होति सङ्घस्स आसनपरियन्तो सेय्यापरियन्तो विहारपरियन्तो सो तस्स पदातब्बो। तेन च सो सादितब्बो।
‘‘न
‘‘न, भिक्खवे, अब्भानारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको आवासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया।
‘‘न, भिक्खवे, अब्भानारहेन भिक्खुना सभिक्खुका आवासा अभिक्खुको अनावासो गन्तब्बो, अञ्ञत्र पकतत्तेन, अञ्ञत्र अन्तराया…पे॰…। (यथा हेट्ठा, तथा वित्थारेतब्बा।)
‘‘गन्तब्बो
‘‘न, भिक्खवे, अब्भानारहेन भिक्खुना पकतत्तेन भिक्खुना सद्धिं एकच्छन्ने आवासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने अनावासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने आवासे वा अनावासे वा वत्थब्बं; पकतत्तं भिक्खुं दिस्वा आसना वुट्ठातब्बं, पकतत्तो भिक्खु आसनेन निमन्तेतब्बो; न पकतत्तेन भिक्खुना सद्धिं एकासने निसीदितब्बं, न नीचे आसने निसिन्ने उच्चे आसने निसीदितब्बं, न छमायं निसिन्ने आसने निसीदितब्बं; न एकचङ्कमे चङ्कमितब्बं, न नीचे चङ्कमे
‘‘न, भिक्खवे, अब्भानारहेन भिक्खुना पारिवासिकेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… मूलायपटिकस्सनारहेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… मानत्तारहेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… मानत्तचारिकेन भिक्खुना सद्धिं…पे॰… अब्भानारहेन वुड्ढतरेन भिक्खुना सद्धिं एकच्छन्ने आवासे वत्थब्बं, न एकच्छन्ने अनावासे वत्थब्बं; न एकच्छन्ने आवासे वा अनावासे वा वत्थब्बं; न एकासने निसीदितब्बं, न नीचे आसने निसिन्ने उच्चे आसने निसीदितब्बं, न छमायं निसिन्ने आसने निसीदितब्बं; न एकचङ्कमे चङ्कमितब्बं
अब्भानारहवत्तं निट्ठितं।
पारिवासिकक्खन्धको दुतियो।
इमम्हि खन्धके वत्थू पञ्च।
तस्सुद्दानं –
पारिवासिका
अभिवादनं पच्चुट्ठानं, अञ्जलिञ्च सामीचियं॥
आसनं
पत्तं नहाने परिकम्मं, उज्झायन्ति च पेसला॥
दुक्कटं सादियन्तस्स, मिथु पञ्च यथावुड्ढं
उपोसथं पवारणं, वस्सिकोणोजभोजनं॥
सम्मा च वत्तना तत्थ, पकतत्तस्स गच्छन्तं।
यो च होति परियन्तो, पुरे पच्छा तथेव च
आरञ्ञपिण्डनीहारो, आगन्तुके उपोसथे।
पवारणाय दूतेन, गन्तब्बो च सभिक्खुको॥
एकच्छन्ने
आसने नीचे चङ्कमे, छमायं चङ्कमेन च॥
वुड्ढतरेन अकम्मं, रत्तिच्छेदा च सोधना।
निक्खिपनं समादानं, वत्तंव पारिवासिके
मूलाय
अब्भानारहे नयो चापि, सम्भेदं नयतो
पारिवासिकेसु तयो, चतु मानत्तचारिके।
न समेन्ति रत्तिच्छेदेसु
द्वे कम्मा सदिसा सेसा, तयो कम्मा समासमाति
पारिवासिकक्खन्धकं निट्ठितं।